Chapter:6
आपातकाल के प्रमुख कारक :-
1 ) आर्थिक कारक
2 ) छात्र आंदोलन
3 ) नक्सलवादी आंदोलन
4 ) रेल हड़ताल
5 ) न्यायपालिका के संघर्ष
❇ 1 ) आर्थिक कारक :-
गरीबी हटाओं का नारा कुछ खास नहीं कर पाया था ।
बांग्लादेश के संकट से भारत की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ बड़ा था ।
अमेरिका ने भारत को हर तरह की सहायता देनी बंद कर दी थी ।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के बढ़ने से विभिन्न चीजों की कीमतें बहुत बढ़ गई थी ।
औद्योगिक विकास की दर बहुत कम हो गयी थी ।
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बहुत बढ़ गई थी ।
सरकार ने खर्चे कम करने के लिए सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया था ।
❇ 2 ) छात्र आंदोलन :-
🔹 गुजरात के छात्रों ने खाद्यान्न , खाद्य तेल तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमतें तथा उच्च पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जनवरी 1974 में आंदोलन शुरू किया ।
🔹 मार्च 1974 में बढ़ती हुई कीमतों , खाद्यान्न के अभाव , बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार में छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया ।
🔶 जय प्रकाश नारायण की भूमिका :-
🔹 जय प्रकाश नारायण ( जेपी ) ने इस आंदोलन का नेतृत्व दो शर्तो पर स्वीकार किया ।
( क ) आंदोलन अहिंसक रहेगा ।
( ख ) यह विहार तक सीमित नहीं रहेगा , अतिपु राष्ट्रव्यापी होगा ।
🔹 जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति द्वारा सच्चे लोकतंत्र की स्थापना की बात की थी ।
🔹 जेपी ने भारतीय जनसंघ , कांग्रेस ( ओ ) , भारतीय लोकदल , सोशलिस्ट पार्टी जैसे गैर – कांग्रेसी दलों के समर्थन से ‘ संसद – मार्च ‘ का नेतृत्व किया था ।
🔹 इसे “ संपूर्ण क्रांति “ के नाम से जाना जाता है
🔹 इंदिरा गांधी ने इस आंदोलन को अपने प्रति व्यक्तिगत विरोध से प्रेरित बताया था ।
❇ राम मनोहर लोहिया :-
जन्म 23 march, 1910
मृत्यु 12 October, 1967
विचारधारा समाजवाद, समाजवादी चिंतक, गांधीवाद
❇ राम मनोहर लोहिया और समाजवाद :-
🔹 राम मनोहर लोहिया ने पाँच प्रकार की असमानताओं को चिह्नित किया । जिनसे एक साथ लड़ने की आवश्यकता है इस सूची में उनके द्वारा दो और क्रांतियों को जोड़ा गया ।
🔹 यह सात क्रांतियों कुछ इस प्रकार है :-
स्त्री और पुरुष के बीच असमानता ,
त्वचा के रंग के आधार पर असमानता ,
जाति आधारित असमानता,
कुछ देशों द्वारा दूसरे देशों पर औपनिवेशिक शासन,
आर्थिक असमानता।
नागरिक स्वतंत्रता के लिये क्रांति (निजी जीवन पर अन्यायपूर्ण अतिक्रमण के खिलाफ) ।
सत्याग्रह के पक्ष में हथियारों का त्याग कर अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करने के लिये क्रांति।
नोट :- ये सात क्रांतियाँ या सप्त क्रांति लोहिया के लिये समाजवाद का आदर्श थीं।
❇ पंडित दीनदयाल उपाध्याय :-
जन्म 25 sep, 1916
मृत्यु 11 feb, 1968
पेशा दार्शनिक, समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ
राजनीतिक दल यह भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे है ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े ।
❇ दीनदयाल उपाध्याय और एकात्म मानववाद :-
🔹 यह सनातन तथा हिंदुत्व की विचारधारा को महत्वपूर्ण मानते थे ।
🔹 इनके अनुसार मनुष्य विकास का केंद्र होता है । व्यक्ति तथा समाज की आवश्यकता के बीच समन्वय स्थापित करते हुए प्रत्येक मानव के लिए एक गरिमामय जीवन सुनिश्चित करना एकात्म मानववाद का उद्देश्य है ।
🔹 एकात्म मानववाद के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग किया जाना चाहिए । जिससे उन संसाधनों को पुनः प्राप्त किया जा सके ।
(एकात्म मानववाद का दर्शन 3 सिद्धांतों पर आधारित है).
1) समग्रता की प्रधानता
2) धर्म की स्वायत्तता
3) समाज की स्वायत्तता
❇ 3 ) नक्सलवादी आंदोलन :-
🔹 इसी अवधि में संसदीय राजनीति में विश्वास न रखने वाले कुछ मार्क्सवादी समूहों की सक्रियता बढ़ी ।
🔹 इन समूहों ने मौजूदा राजनीतिक प्रणाली और पूँजीपादी व्यवस्था को समाप्त करने के लिए हथियार और राज्य विरोधी तरीकों का सहारा लिया ।
🔹 1967 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के नक्सलवादी इलाके के किसानों ने हिसंक विद्रोह किया था , जिसे नक्सलवादी आंदोलन के रूप में जाना जाता है ।
🔹 1969 में चारू मजूमदार के नेतृत्व में सी पी आई ( मार्क्सवादी – लेनिनवादी ) पार्टी का गठन किया गया । इस पार्टी ने क्रांति के लिए गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनायी ।
🔹 नक्सलियों ने धनी भूस्वामियों से बलपूर्वक जमीन छीनकर गरीब और भूमिहीन लोंगों को दी ।
🔹 वर्तमान में 9 राज्यों के 100 से अधिक पिछड़े आदिवासी जिलों में नक्सलवादी हिंसा जारी है ।
🔶 इनकी माँगे निम्नलिखित हैं :-
🔹 इन इलाकों के लोगो को उपज में हिस्सा , पट्टे की सुनिश्चित अवधि और उचित मजदूरी जैसे बुनियादी हक दिये जाए ।
🔹 जबरन मजदूरी , बाहरी लोगों द्वारा संसाधनों का दोहन तथा सूदखोरों द्वारा शोषण से इन लोगों को मुक्ति मिलनी चाहिए ।
❇ 4 ) रेल हड़ताल :-
🔹 जार्ज फर्नाडिस के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय समिति ने रेलवे कर्मचारियों की सेवा तथा बोनस आदि से जुड़ी माँगो को लेकर 1974 में हड़ताल की थी ।
🔹 सरकार मे हड़ताल को असंवैधानिक घोषित किया और उनकी माँगे स्वीकार नहीं की ।
🔹 इससे मजदूरों , रेलवे कर्मचारियों , आम आदमी और व्यापारियों में सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा हुआ ।
❇ 5) न्यायपालिका के संघर्ष :-
🔹 सरकार के मौलिक अधिकारों में कटौती , संपत्ति के अधिकार में कॉट – छॉट और नीति – निर्देशक सिद्धांतो को मौलिक अधिकारों पर ज्यादा शक्ति देना जैसे प्रावधानों को सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया ।
🔹 सरकार ने जे . एम . शैलट , के . एस . हेगड़े तथा ए . एन . ग्रोवर की वरिष्ठता की अनदेखी करके ए . एन . रे . को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करवाया ।
🔹 सरकार के इन कार्यों से प्रतिबद्ध न्यायपालिका तथा नौकरशाही की बातें होने लगी थी ।
Chapter: 8
🔶 ऑपरेशन ब्लू स्टार :-
🔹 सन् 1980 के बाद अकाली दल पर उग्रपन्थी लोगों का नियन्त्रण हो गया और इन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में अपना मुख्यालय बनाया । सरकार ने जून 1984 में उग्रवादियों को स्वर्ग मन्दिर से निकालने के लिए सैन्य कार्यवाही ( ऑपरेशन ब्लू स्टार ) की ।
🔶 इंन्दिरा गांधी की हत्या :-
🔹 इस सैन्य कार्यवाही को सिक्खों ने अपने धर्म , विश्वास पर हमला माना जिसका बदला लेने के लिए 31 अक्टूबर 1984 को इंन्दिरा गांधी की हत्या की गई तो दूसरी तरफ उत्तर भारत में सिक्खों के विरूद्ध हिंसा भड़क उठी ।
Chapter: 5
विदेश नीति : –
🔹 जब एक देश विभिन्न देशों , अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों , अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों तथा आन्दोलनों व अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति जिन नीतियों को अपनाता है , उन नीतियों को सामूहिक रूप से विदेश नीति कहा जाता है ।
🔹 अर्थात प्रत्येक देश अन्य देशों के साथ संबंधों की स्थापना में एक विशेष प्रकार की ही नीति का प्रयोग करता है जिसे विदेश नीति कहते हैं ।
भारत की विदेश निति : –
🔹 भारत बहुत चुनौतीपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में आजाद हुआ था । उस समय लगभग संपूर्ण विश्व दो ध्रुवों मे बँट चुका था । ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने बड़ी दूरदर्शिता के साथ भारत की विदेश नीति तय की । भारत की विदेश नीति पर देश के पहले प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की अमिट छाप है ।
* नेहरू जी की विदेश नीति के तीन मुख्य उद्देश्य थे : –
1 ) कठिन संघर्ष से प्राप्त सम्प्रभुता को बचाए रखना ।
2 ) क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना ।
3 ) तेज गति से आर्थिक विकास करना ।
* भारत की विदेश नीति के मुख्य सिद्धान्त : –
1) गुटनिरपेक्षता
2) वसुधैव कुटुम्बकम
3) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में स्वतंत्रतापूर्वक एवं सक्रिय भागीदारी
4) पंचशील
5)साम्राज्यवाद का विरोध
6) अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण हल
7) निःशस्त्रीकरण